CLASS 08 TEST SOLUTION HINDI
01/11/2023
1). ईद के दिन अमीना क्यों उदास थी?
उत्तर:
ईद के दिन भी आपला इसलिए उदास थी क्योंकि उसके घर में एक दाना भी नहीं था। फिर हामीद अकेले कैसे तीन कोश तक पैदल चलकर ईदगाह तक जायेगा।
2). हामीद मिठाई या खिलौने के बदले चिमटा पसन्द करता है। क्यों ?
उत्तर:बचपन में यदि बच्चा अभावग्रस्त हो तो वह वयस्क की तरह सोचने लगता है । हामीद ने सोचा मिठाईयाँ से केवल जिह्वा में स्वाद आता है जो क्षण-भर के लिए होता । खिलौने भी मिट्टी के बने हैं जिसपर पानी पड़ते ही रंग उड़ जाएँगे । ठोकर लगते ही टुट-फूट जाएँगे । लेकिन चिमटा न कभी टुटेगा न फूटेगा । यह दादी को काम आयेगा। दादी को रोटी सेकने के समय अंगुलियाँ नहीं जलेंगी। यह बहुत उपयोगी है । यह सब बातें सोचकर हामीद चिमटा ही पसन्द करता है।
मेला जाने से पहले हामीद दादी से कहता है.-“तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा । बिल्कुल न डरना।”
उत्तर:
मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामीद के मन में एक वयस्क की तरह विचार करने लगा। खिलौने सभी अच्छे हैं किसे लें। हरेक का दाम दो पैसे हैं, सभी खिलौने भी नहीं होंगे । फिर मिट्टी के बने ये खिलौने यदि हाथ से छूट गये तो चूर-चूर हो जायेंगे, पानी पड़ा तो सारा रंग घुल जाएगा।
ऐसे खिलौने लेकर वह क्या करेगा। जब वह लोहे की दुकान पर जाता है तो चिमटा देखते ही वह विचारने लगता है। दादी के पास चिमटे नहीं हैं तवे से रोटियाँ उतारते समय उसके हाथ की अंगुलियाँ जल जाती हैं। अगर चिमटा लंकर दादी के पास जायेगा तो दादी बहुत खुश होगी। उनकी अँगुलियाँ अब कभी नहीं जलेंगी। खिलौने लेने से व्यर्थ में पैसे खराब हो जाएंगे।
5). हामीद ने चिमटे को किन-किन रूपों में उपयोग करने की बात कही है?
उत्तर:हामीद चिमटे को बंदूक, फकीरों के चिमटे, मंजीरे तथा खिलौने को जान निकालने वाला हथियार के रूप में उपयोग की बात कही है।
उत्तर:
‘ईदगाह’ कहानी हमें अत्यन्त रोचक लगी। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं
- कहानी बाल-मनोविज्ञान पर आधारित है।
- अभावग्रस्त बच्चे, वयस्क की तरह सोचते हैं।
- चुनौतियाँ बच्चे को परिपक्व बनाती हैं।
- कहानी मुहावरों के द्वारा रोचक बनाया गया है।
- कहानी में जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।
- कहानी सुखान्त है इत्यादि ।
उत्तर:
चिमटा देखकर अमीना के मन में दो प्रकार के भाव जगे
- लड़का कितना वेसमझ है, न कुछ खाया न पिया और न कोई खेलने का खिलौने लाया । यह चिमटा क्यों ले आया । लेकिन जब हामीद ने कहा “तुम्हारी अंगुलियाँ तबे से जल जाती थीं इसलिए मैंने इसे ले लिया तो दादी के भाव बदल गये।
- दूसरे भाव में दादी सोची हामीद में कितना त्याग, सद्भाव और विवेक है। बच्चे को मिठाई खाते देख अवश्य ललचाया होगा । लेकिन बुढ़िया दादी का ख्याल बना रहा।
कर्मवीर विघ्न-बाधाओं से घबड़ाते नहीं। वे भाग्य-भरोसे नहीं रहते । कर्मवीर आज के कार्य को आज ही कर लेते हैं। जैसा सोचते हैं वैसा ही बोलते हैं तथा जैसा बोलते हैं, वैसा ही करते हैं । कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं जाने देते । वे अलसाते भी नहीं। कर्मवीर समय का महत्व सदैव देते हैं। वे परिश्रम करने से जी नहीं चुराते हैं । कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कठिन कार्य कर दिखाते हैं। कर्मवीर कार्य करने में थकतें नहीं हैं। जिस कार्य को आरम्भ करते उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। उलझनों के बीच भी वे उत्साहित दिखते हैं।
अपने दंश की उन्नति के लिए हम कर्मनिष्ठ बनेंगे। समय का महत्व देंगे । मन-वचन कर्म तीनों से एक रहेंगे । कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी नहीं घबराएँगे। जिस कार्य में हाथ डालेंगे उसे करके ही दम लेंगे। आलस्य कभी नहीं करेंगे और कभी भी अपने कार्य को कल के भरोसे नहीं टालेंगे।
हमें अपने को कर्मवीर साबित करने के लिए कर्तव्यनिष्ठ बनना होगा । समय का महत्व हमें देना होगा। परिश्रमी बनना पड़ेगा तथा आलस्य को त्यागना होगा। मन-वचन और कर्म से एक रहना होगा । उपरोक्त कर्मवीर , के गुणों को अपने में उतारकर हम अपने को कर्मवीर साबित कर सकते हैं। उपरोक्त कर्मवीर के गुणों को अपने में उतारकर हम अपने को कर्मवीर साबित कर सकते हैं।
उत्तर:
- दुःख – सुख
- कठिन – आसान
- भलाई – बुराई
- सुख – दुःख
- जनम – मरणं
उत्तर:
जो परिश्रमी है उसे मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है। । परिश्रमी व्यक्ति कभी आलस्य नहीं दिखाते । अगर परिश्रमी व्यक्ति मन-वचन और कर्म से एक, बना रहे तो कार्य में सफलता अवश्य मिलती है। परिश्रमी व्यक्ति को समय का महत्व समझना चाहिए । इस प्रकार कहा जा सकता है कि कर्मवीर के सारे गुणों को अपना कर परिश्रमी व्यक्ति को कर्मनिष्ठ होना चाहिए जिससे मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति किया जा सकता है।
हम अपना आदर्श महात्मा गाँधी को मानते हैं क्योंकि हम सादगी,… सच्चाई और अहिंसा पर विश्वास करते हैं तथा सतत् प्रयत्नशील रहने का प्रयास करते हैं। ये सब आदर्श महात्मा गाँधीजी में मौजूद थे।
हमें हामिद का चरित्र अच्छा लगा क्योंकि हामिद बच्चा होते हुए भी वयस्क की तरह सोच-विचार कर समान खरीदता है।
हाँ, हामीद बच्चों के सामान्य छवि से अलग हटकर एक नई छवि प्रस्तुत करता है क्योंकि बच्चे खिलौने और मिठाइयाँ पर ज्यादा आकर्षित होते हैं जो बाल-सुलभ है । इसलिए तो महमूद मोहसिन और नूर ने अलग-अलग पसंद के खिलौने ही खरीदे । लेकिन हामीद बच्चा होते हुए भी एक वयस्क की तरह सोच-विचार कर अधिक उपयोगी चिमटा खरीदकर नयी छवि प्रस्तुत करता है।